आज अगर मिलन की रात होती
जाने क्या बात होती, तो क्या बात होती
सुनते हैं जब प्यार हो तो
दिए जल उठते हैं
तन में, मन में और नयन में
दिए जल उठते हैं
आजा पिया आजा, आजा पिया आजा हो
आजा पिया आजा, तेरे ही तेरे लिए जलते दिए
बेपानी तेरे साए में साए में
जिंदगानी बिताई तेरे साए में साए में
कभी कभी, कभी कभी ऐसे दीयों से
लग ही जाती आग भी
धुले धुले अंचलों पे
लग ही जाते दाग भी
हैं वीरानों में बदलते
देखे मन के बाग़ भी
सपनों में श्रीनगर हो तो
दिए जल उठते हैं
ख्वाहिसों के और शर्म के
दिए जल उठते हैं
आजा पिया आजा, आजा पिया आजा हो
आजा पिया आजा, तेरे ही तेरे लिए जलते दिए
बेपानी तेरे साए में साए में
जिंदगानी बिताई तेरे साए में साए में
मेरा नहीं, मेरा नहीं है वो दिया जो
जल रहा है मेरे लिए
मेरी तरफ क्यूँ ये उजाले आये हैं
इनको रोकिये
यूँ बेगानी रौशनी में, कब तलक कोई जिए
साँसों में झंकार हो तो
दिए जल उठते हैं
झाँझरों में कंगनों में
दिए जल उठते हैं
आजा पिया, हम्म जलते दिए
बेपानी तेरे साए में साए में
जिंदगानी बिताई तेरे साए में साए में
साए में, साए तेरे.. साए में, साए तेरे
साए में, साए तेरे.. साए में, साए तेरे